कृपया यहां आकर यह मत मांगिए… वांगचुक की लेह-लद्दाख आने वाले टूरिस्ट के लिए क्या सलाह है


नई दिल्‍ली:

हमारे ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं… जिससे हमारे समुद्रों का स्‍तर बढ़ता जा रहा है. ग्लेशियरों के पिघलने से जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है. ये सब जलवायु परिवर्तन के परिणाम हैं. जलवायु परिर्तन का प्रभाव लद्दाख पर भी देखने को मिल रहा है.  NDTV इंडिया टेलिथॉन में लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने बताया कि लद्दाख में पर्यटन लगातार बढ़ रहा है. हर दिन हजारों डीजल गाडियां यहां आती हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. अगर समय रहते स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं.  

लद्दाख में भी बढ़ रही गर्मी..!

सोनम वांगचुक ने बताया, “ग्लोबल वार्मिंग का लद्दाख में भी असर देखने को मिल रहा है. गर्मी में यहां बाढ़ आ जाती है, वो भी फ्लैश फल्ड. ग्लोबल वार्मिंग के कारण लोग अब यहां भी एसी लगवाने की सोच रहे हैं. वैश्विक स्तर पर इमिशन से लद्दाख में भी असर दिख रहा है. डीजल ट्रकों की वजह से भी तापमान यहां बढ़ रहा है. सर्दी में जो आग जलाई जा रही है, उससे जो काला धुआं निकलता है, वो जाकर ग्लेशियर पर बैठ जाता है. ग्‍लेशियर इससे और ज्‍यादा पिछलते हैं. इससे भी पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है.”  

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टूरिस्‍ट यहां भी चाहिए लग्जरी

उन्‍होंने बताया, “लद्दाख आने वाले टूरिस्‍ट यहां आकर भी वही लग्जरी चाहते हैं, जिस वजह से यहां भी हालात अब लोकल पॉल्‍यूशन बढ़ाने लगे है, ये स्थिति ग्लेशियर के लिए सही नहीं है. टूरिजम के प्रेशर से यहां का तापमान बदलने लगा है. स्थिति बहुत नाजुक है. लद्दाख में टूरिज्म को उस शर्त पर अनुमति होनी चाहिए कि वो दूसरी जगहों से अलग हो और उससे यहां का माहौल और खासकर ग्लेशियर को ज्यादा असर ना दिखे.”

लद्दाख में सौर ऊर्जा का हो इस्तेमाल

वांगचुक ने कहा, “पर्यटकों को खुश करने के लिए कुछ भी ना कर दें, ताकि उससे हमारा आने वाला कल ही बेकार हो जाए. लद्दाख में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके हम पर्यावरण को बचा सकते हैं. हम लद्दाख में सोलर चार्जिंग प्वाइंट बना सकते हैं. सरकार को सोलर और हाइड्रोजन फ्यूल को यहां बढ़ावा देना चाहिए. इसके साथ ही लोगों को अपनी बिजली की खपत को आधा करना चाहिए, ताकि इससे प्रदूषण भी आधा हो. कोई बिजली को व्यर्थ ना करें. हर एक चीज दूसरी चीज से जुड़ी होती है, ये हमें समझना चाहिए.” 

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