क्या आर्टिकल 39(बी) के तहत सरकार को आपकी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का अधिकार है?

बता दें कि 1992 में दायर किए गए संपत्ति विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की फिर से व्याख्या करने की जरूरत महसूस की है. आमतौर पर राज्य पॉलिसी के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स अदालत के कानून द्वारा अप्रवर्तनीय होते हैं. संविधान सभा के एक सदस्य ने तो पूरे हिस्से को ‘भावनाओं का कूड़ादान’ तक बता दिया. लेकिन अनुच्छेद 39(बी) अलग है. इसे अनुच्छेद 31 सी द्वारा रेखांकित किया गया है, जो यह कहता है कि अनुच्छेद 39 (बी) को आगे बढ़ाने में संसद से बना कानून अमान्य नहीं है, भले ही इससे समानता और व्यापार की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता हो. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने दोनों प्रावधानों के बीच संबंध भी एक मुद्दा है. 

“भारत में धन असमानता पहले से ज्यादा”

विश्व असमानता डेटाबेस की हालिया स्टडी में कहा गया है कि भारत में धन असमानता अब ब्रिटिश शासन की तुलना में ज्यादा है. इसे लेकर संसद संभावित रूप से ‘संपत्ति कर’ लागू कर सकती है, जहां एक निश्चित नेट वर्थ वाले लोगों को उनकी संपत्ति का 2% टैक्स देना होगा. क्यों कि यह  समानता, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यापार की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, इस कानून को चुनौती देना बेकार होगा, क्योंकि अनुच्छेद 39(बी),अनुच्छेद 31सी द्वारा समर्थित है.

अनुच्छेद 39(बी) का गांधीवादी दृष्टिकोण

इस मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अनुच्छेद 39(बी) की व्याख्या पूरी तरह से कम्युनिस्ट या समाजवादी अर्थ में नहीं की जा सकती. उन्हें इस प्रावधान में गांधीवादी सोच नजर आई. इसीलिए संभावना जताई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 39(बी) की ज्यादा बारीकी से व्याख्या करेगा. निजी संपत्ति को पूरी तरह से छोड़ा नहीं जा सकता, लेकिन कुछ तरह की निजी संपत्ति को ट्रस्ट के रूप में घोषित किया जा सकता है.

निजी संपत्ति पर क्या है सुप्रीम कोर्ट की राय?

क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है. सार्वजनिक हित के लिए क्या राज्य सरकार इस पर कब्जा कर सकती है, इसे लेकर दायर याचिकाओं पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई की.अंतिम दिन की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक उदाहरण देते हुए पूछा कि क्या भारत के बाहर सेमीकंडक्टर चिप्स निर्माता को देश में एक इकाई स्थापित करने के लिए कहा जाए लेकिन बाद में बताया जाए कि यह समुदाय का एक भौतिक संसाधन है, और इसे छीन लिया जाएगा तो फिर देश में निवेश कौन करेगा?

शीर्ष अदालत ने कहा, “तो सवाल यह है कि क्या कोई व्यक्ति निवेश करता है, एक कारखाना बनाता है और उत्पादन शुरू करता है. कल यह नहीं कहा जा सकता कि इसे श्रमिकों को वितरित करने के उद्देश्य से छीन लिया जाएगा. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई पूरी की. सुनवाई पांच दिनों तक चली. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. 

क्या है अमेरिका का विरासत कानून?

अमेरिका में संपत्ति दो तरह के कर लगाए जाते हैं. एक होता है संपत्ति कर और दूसरा है, विरासत कर. अमेरिका के 12 राज्यों में संपत्ति कर लगाया जाता है. वहीं केवल छह राज्य ही विरासत कर लगाते हैं. संपत्ति कर को ‘डेथ टैक्स’के नाम से भी जाना जाता है. यह एक संघीय कानून है. यह किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्तियों के हस्तांतरण पर लगता है. माना जाता है कि यह कर संपत्तियों पर बकाया है, लाभार्थियों पर नहीं. संपत्ति कर 18 से 40 फीसदी के बीच हो सकता है. 

इसके उलट विरासत कर उस व्यक्ति पर लगता है, जिसे विरासत में पैसा, प्रापर्टी या कोई और धन-संपदा मिल रही है. यह किसी व्यक्ति की मौत पर उसकी संपत्तियों के हस्तांतरण पर लगता है. यह उसी राज्य में लगता है, जहां वह है, भले ही लाभार्थी किसी और राज्य में रह रहा हो. लाभार्थी को यह कर देना पड़ेगा.

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