क्या है Capital Expenditure, मोदी सरकार क्यों कर रही इसपर फोकस?


नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई (मंगलवार) को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया. बतौर वित्त मंत्री सीतारमन का ये सातवां बजट था. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से बजट 2024 के प्रमुख प्रावधानों को लेकर खास बातचीत की. इस दौरान सीतारमन ने बताया कि पीएम मोदी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. आने वाले दिनों में उसके फायदे दिखेंगे.

कैपिटल एक्सपेंडिचर (CAPEX) वह खर्च होता है, जिसे सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर यानी एयरपोर्ट, फ्लाईओवर, एक्सप्रेसवे और अस्पताल बनाने जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए खर्च करती है. कैपिटल एक्सपेंडिचर सरकार का लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट होता है. इस इंवेस्टमेंट से डेवलपमेंट होता है.

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कैपिटल एक्सपेंडिचर का इस्तेमाल 4 कामों के लिए किया जाता है:
– इंफ्रास्ट्रक्चर के नए प्रोजेक्ट के लिए.
-मौजूदा प्रोजेक्ट को अपग्रेड करने के लिए.
-मौजूदा प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस के लिए.
-इंफ्रास्ट्रक्चर लोन के पेमेंट के लिए.

बजट को आसान बनाने में पीएम की रही भूमिका
पहले बजट के भाषण में अर्थशास्त्र के कठिन शब्दों का इस्तेमाल होता था. लेकिन अब सरकार के बजट में हमें सरलता, स्पष्टता और आसान शब्द मिलते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बताया कि बजट के भाषण को आसान बनाने में पीएम मोदी की क्या भूमिका रही? सीतारमन ने बताया, “हर बजट अपने आप में खास होता है. हर बजट को ड्राफ्ट करना अपने आप में खास चुनौती भी होती है. बजट को लोगों के लिए आसान भाषा में पेश करना एक बड़ी चुनौती रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि बजट ऐसा हो, जिसे लोग आसानी से समझ पाएं. इसकी भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए. ताकि सरकार की बातें, उसकी नीतियां जनता के पास स्पष्ट तरीके से पहुंचे.”

सीतारमन ने कहा, “पीएम मोदी का मानना है कि हम जो कहें, वो सीधे-सीधे बजट में ही कह दें. वित्त मंत्रालय और हमारी टीम ने पीएम मोदी की सलाह पर लंबे समय तक काम किया. हमने बजट के भाषण में पीएम मोदी के कहे मुताबिक लगातार सुधार किया है. इसका नतीजा सामने है. आज बजट के भाषण उतने जटिल नहीं हैं, जितने कि पहले हुआ करते थे.”

सीतारमन ने बताया, “सरकार का उद्देश्य यही रहा है कि बजट में कुछ भी ढका-छिपा न हो, और सभी की समझ में आए, क्योंकि यही प्रधानमंत्री की इच्छा है… इसके अलावा, PM यह भी चाहते हैं कि बजट में जो कुछ भी कहना या करना है, साफ-साफ किया जाना चाहिए… वह कहते हैं, अगर बाद में कुछ बदलाव या संशोधन करने भी पड़ें, तो वह फीडबैक लेने के बाद किया जाना चाहिए… भाषा को सरल बनाने के अलावा यही दूसरा बड़ा काम है, जो हमने बजट में किया…”

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