टीवी सोमनाथन बने कैबिनेट सचिव; जानिए कौन-कौन था रेस में और क्यों इन्होंने मारी बाजी?

Cabinet Secretary Posting :वरिष्ठ आईएएस अधिकारी टीवी सोमनाथन को शनिवार को राजीव गौबा की जगह कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया. तमिलनाडु कैडर के 1987-बैच के आईएएस अधिकारी सोमनाथन अब तक केंद्रीय वित्त सचिव और सचिव व्यय के रूप में कार्यरत थे. कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 30.08.2024 से दो साल के कार्यकाल के लिए कैबिनेट सचिव के रूप में  टीवी सोमनाथन की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. एक आधिकारिक आदेश में कहा गया, “कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने टीवी सोमनाथन को कैबिनेट सचिव के रूप में कार्यभार संभालने तक कैबिनेट सचिवालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के रूप में नियुक्ति की भी मंजूरी दी है.”

राजीव गौबा ने रचा इतिहास

इसी के साथ 1982 बैच के झारखंड कैडर के अधिकारी राजीव गौबा भारत के सबसे लंबे समय तक कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary Rajiv Gauba) रहने वाले अधिकारी बन गए हैं. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती पीके सिन्हा का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो चार साल से कुछ अधिक समय तक पद पर रहे थे. गौबा से पदभार ग्रहण करने की दौड़ में टीवी सोमनाथन के अलावा दो और अधिकारी भी थे. मगर बाजी उन्होंने मार ली.

टीवी सोमनाथन (Finance Secretary TV Somanathan) के अलावा गुजरात के मुख्य सचिव राज कुमार (Gujarat Chief Secretary Raj Kumar) और जल शक्ति सचिव विनी महाजन (Jal Shakti Secretary Vini Mahajan) कैबिनेट सचिव की रेस में सबसे आगे थीं.

टीवी सोमनाथन क्यों बने पसंद?

कैबिनेट सचिव बनने से पहले तमिलनाडु कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी टीवी सोमनाथन को अप्रैल 2021 में पीएम के नेतृत्व वाली नियुक्ति समिति द्वारा वित्त सचिव नियुक्त किया गया था. टीवी सोमनाथन का लंबा कार्यकाल विश्व बैंक में था. टीवी के वित्तीय कौशल का इतना सम्मान था कि विश्व बैंक के तत्कालीन चीफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) से उन्हें निर्धारित समय से आगे विश्व बैंक में काम करने देने का अनुरोध किया था. मनमोहन सिंह ने उस अनुरोध स्वीकार कर लिया था. वहीं पीएम मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन को टॉप फोकस पर रखे हुए हैं. यही मुख्य कारण हो सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मौजूदा वित्त सचिव को कैबिनेट सचिव बनाने का फैसला किया हो.

टीवी का वो किस्सा

दिलचस्प बात यह है कि अपनी बेदाग ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले सोमनाथन का अपने करियर की शुरुआत में जयललिता (Jayalalithaa) के साथ कड़वाहट भरा झगड़ा हुआ था, जब वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं. उन्होंने उनके द्वारा संभाले गए एक विषय पर सतर्कता जांच का आदेश दिया था और मुख्यमंत्री इतनी नाराज थीं कि उन्होंने उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य से मुक्त करने से भी इनकार कर दिया. हाल ही में वित्त सचिव ने सभी सचिवों द्वारा कैबिनेट में शुद्ध हिंदी में बोलकर अपने सहयोगियों को चकित कर दिया था.

राजीव कुमार क्यों थे दावेदार?

सूत्रों के अनुसार, शीर्ष पद के लिए दावेदार रहे गुजरात के मुख्य सचिव राज कुमार पीएम मोदी के केंद्र में कार्यभार संभालने के कुछ महीनों बाद ही 2015 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आए. केंद्र सरकार में राज कुमार की आखिरी पोस्टिंग बेहद चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील थी. वह रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन सचिव थे. केंद्र में उत्कृष्ट कार्यकाल के बाद वह 2021 में अपने मूल कैडर गुजरात लौट आए. उनकी वापसी के बाद गुजरात सरकार ने उन्हें संवेदनशील गृह विभाग का प्रभार दिया. पिछले साल जनवरी में उन्हें मुख्य सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया था. एक बेहद शानदार नौकरशाह के रूप में प्रतिष्ठित राज कुमार उत्तर प्रदेश के बदायूं के रहने वाले हैं. इसीलिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी, मगर वह इस बार चूक गए.

विनी महाजन क्यों थीं फिट?

इस दौड़ में तीसरी अधिकारी विनी महाजन थीं. यदि प्रधानमंत्री उन्हें नियुक्त करते तो यह इतिहास बनता, क्योंकि वह भारत की पहली महिला कैबिनेट सचिव बन जातीं. यह पद स्वतंत्रता से पहले बनाया गया था, मगर अब तक कोई महिला अधिकारी इस पद पर नहीं रहीं, विनी महाजन अत्यधिक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य पंजाब की मुख्य सचिव थीं, जो उनका गृह कैडर था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की करीबी माने जाने वाले अधिकारी को राज्य कांग्रेस नेतृत्व द्वारा अपनी ही सरकार के खिलाफ आधी रात को तख्तापलट के बाद हटा दिया गया था. दूसरी पीढ़ी की नौकरशाह विनी महाजन पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव की बेटी हैं. वह अपनी तर्कसंगत सोच और व्यवस्थित योजना के लिए जानी जाती हैं.  इन तीनों में से महाजन प्रधानमंत्री कार्यालय के कामकाज का व्यापक अनुभव रखने वाली एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ में लंबे समय तक कार्य किया है. हालांकि, विनी भी दौड़ में पीछे रह गईं. इस रेस में शामिल तीनों अधिकारी प्रथम प्रयास में आईएएस बने थे. तीनों अपने बैच में सबसे कम उम्र के हैं और इनमें से दो मुख्य सचिव रह चुके हैं. साथ ही, ये तीनों बेहद साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं.