तब खाली कुर्सियां, अब ममता का दरवाजे पर इंतजार, जानें एक बार फिर डॉक्टर क्यों नहीं हुए तैयार

साल्ट लेक में स्वास्थ्य भवन के बाहर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि चिकित्सक बारिश के बीच सड़क पर धरना दे रहे हैं. ये बात उन्हें परेशान कर रही है और इसकी वजह से वह सो नहीं पा रही हैं. उन्होंने अपने दौरे को संकट को हल करने का ‘अंतिम प्रयास’ बताया. बनर्जी ने कहा कि वो उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएंगी, क्योंकि वो लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में विश्वास नहीं रखतीं है.

सीएम ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकों के काम पर लौटने के लिए 10 सितंबर की समयसीमा तय की थी और वो नहीं चाहतीं कि प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को परेशानी उठानी पड़े. इस मामले पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होगी. मैं नहीं चाहती कि आप लोगों को परेशानी हो… अगर आप मुझ पर भरोसा रखते हैं, तो मैं आपकी शिकायतों पर गौर करूंगी.

उन्होंने कहा, ‘अगर आप काम पर लौटना चाहते हैं, तो मैं आपसे वादा करती हूं कि आपकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा. मैं अकेले सरकार नहीं चलाती. मैं आपकी मांगों पर मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी के साथ चर्चा करूंगी.’

बनर्जी ने ये घोषणा भी की कि सभी सरकारी अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘सभी अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों को भंग कर दिया जाएगा और नई समितियां बनाई जाएंगी. आरजी कर की रोगी कल्याण समिति को भी भंग किया जा रहा है. नई समितियों का नेतृत्व प्राचार्य करेंगे. इसमें कनिष्ठ चिकित्सक, वरिष्ठ चिकित्सक, नर्स और पुलिस के प्रतिनिधि होंगे. मैंने यह फैसला किया है.’

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वहीं ममता बनर्जी ने सीबीआई से आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चिकित्सक से बलात्कार और हत्या के मामले की जांच जल्द पूरी करने का आग्रह किया.

मंगलवार से ही चिकित्सक राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय स्वास्थ्य भवन के बाहर डेरा डाले हुए हैं. उनकी मांगों में सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था कायम करना और आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में शीर्ष अधिकारियों को हटाना शामिल है.

जूनियर डॉक्टर एक महीने से ज़्यादा समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है. सरकार ने दावा किया है कि विरोध प्रदर्शन के कारण कथित तौर पर इलाज न होने से 29 लोगों की मौत हो गई है.