पाकिस्तान ने रूस से कच्चे तेल का आयात रोका, कहा- पेट्रोल-डीजल कम निकल रहा

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

पाकिस्तान ने रूस से कच्चे तेल का आयात फिलहाल निलंबित कर दिया है. पाकिस्तान का कहना है कि रूस से आने वाले कच्चे तेल से पेट्रोल-डीजल कम निकल रहा है और फरनिस ऑयल यानि कि भठ्ठी आदि में इस्तेमाल होने वाले तेल अधिक निकल रहा है. पाकिस्तान की रिफाइनरीज का दावा है कि अरब देशों से आयातित कच्चे तेल के मुकाबले रूस से आयातित कच्चे तेल में 20 अधिक भठ्ठी का तेल निकल रहा है. 

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पेट्रोल-डीजल की कीमत अधिक होती है. भठ्ठी का तेल सस्ता होता है. इस आधार पर पाकिस्तान इस नतीजे पर पहुंचा है कि रूस से कच्चा तेल घाटे का सौदा है. इसलिए उसने रूस से फिलहाल तेल लेने से मना कर दिया है. 

पाकिस्तान में सूत्रों के आधार पर यह भी दावा किया जा रहा है कि रूसी कच्चे तेल से किरासन तेल और जहाजों के लिए जेट फ़्यूल भी कम निकल रहा है. ये देश के लिए आर्थिक तौर पर नुकसानदेह है. इसलिए तेल शोधक संयंत्रों में रूसी तेल को रिफाइन करने का काम रोक दिया गया है. ये तब है जब पाकिस्तान के पेट्रोलियम राज्यमंत्री मुसादिक मल्लिक, जो कि नेशनल असेंबली भंग होने के बाद अब पूर्व मंत्री हो चुके हैं, ने रूसी तेल शोधन न रोकने का आग्रह किया था. 

पाकिस्तान से मिली जानकारी के मुताबिक रूस से आयातित कच्चे तेल की आखिरी खेप कराची के बंदरगाह पर 11 और 26 जून को आई थी. इसके बाद से रूस से कोई जहाज तेल लेकर पाकिस्तान नहीं आया है. पाकिस्तान ने इस बात को गुप्त रखा है कि उसने रूस से कितना तेल आयात किया और किस कीमत पर. 

पाकिस्तान रूस से फिर कब तेल लेना शुरू करेगा, इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है. जानकारी यह भी आ रही है कि पाकिस्तान रूस से तेल पर डिस्काउंट चाहता है. अगर रूस इसके लिए तैयार होता है तो फिर आयात शुरू हो सकता है. वैसे रूस के ऊर्जा मंत्री निकोलाई शुलगीनोव 17 जून को कह चुके हैं कि पाकिस्तान को तेल पर कोई स्पेशल डिस्काउंट नहीं दिया जाएगा.

पाकिस्तान खुद आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. यहां खाने पीने की चीजों की किल्लत के साथ-साथ ऊर्जा संबंधी दिक्कत भी है. बिजली की भारी कमी है. कई बिजलीघर आयायित तेल के ही सहारे हैं. जाहिर है कि रूस के तेल का भी इसमें योगदान है. आयात रोके जाने से जाहिर है ऊर्जा उत्पादन पर भी असर पड़ेगा.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं. इसमें तेल की कीमत पर कैपिंग भी शामिल है. देखना है कि युद्ध की वजह से भारी आर्थिक नुकसान उठा रहा रूस क्या आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान की मांग के हिसाब से डिस्काउंट देता है या नहीं.

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