बिहार भूमि सर्वेक्षण क्या है? यहां जानिए उससे जुड़े तमाम सवालों के आसान जवाब

जमीन पर कब्जा का आधार क्या होना चाहिए? 
जमीन पर अगर किसी व्यक्ति का कब्जा है तो सर्वे में देखा जाएगा कि उसका आधार क्या है. कोई भी जमीन अगर उसके पास आया है और वो उसके ऊपर दावा करता है तो वो या तो खरीदने के बाद आया होगा. या उसे गिफ्ट मिला होगा. या विरासत में उसे मिला होगा. तीनों में से कोई एक माध्यम जमीन पर स्वामित्व के लिए लोगों को दिखाना ही होगा. इसके लिए जरूरी कागजात सर्वे के दौरान पेश करना होगा. 

दान के माध्यम से मिले जमीन के लिए क्या है प्रावधान? 
 

दान के माध्यम से कई लोगों के जमीन मिले होते हैं. कई जगहों पर इसे लेकर लोगों के पास कोई कागजात नहीं होते हैं. ऐसे में दान करने वाले परिवार के पाले में पूरी तरह से मामला चला जाएगा. अगर वो परिवार अपने आप को उस जमीन से अलग कर लेता है तब ही दान में मिले जमीन का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति को मिल सकता है. अन्यथा उसे उससे जुड़े कागजात दिखाने होंगे. हिंदू लॉ में ओरल डोनेशन का कोई प्रावधान नहीं है. अगर डोनर फेमिली बात से हट जाए तो लोगों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है. 

बिहार से बाहर रहने वाले लोग इस सर्वे में कैसे ले सकते हैं हिस्सा? 
वैसे लोग जिनके जमीन बिहार में हैं लेकिन वो बिहार में नहीं रहते हैं उनके लिए फिजिकली उपस्थित होना अनिवार्य नहीं है. सरकार की तरफ से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही ऑप्शन उपलब्ध करवाए गए हैं. सरकार ने एक पोर्टल भी बनाए हैं. वो अपने टाइटल का पेपर उस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. जहां तक बात है प्लॉट पर पजेशन साबित करने के लिए तो वो उसके लिए पावर ऑफ अटर्नी दे सकते हैं. अगर पजेशन में परेशानी है तो उन्हें एक बार उस जगह पर जरूर आना होगा. विवादित मुद्दे में लोगों को आना ही होगा. लेकिन अगर जमीन पर कोई विवाद नहीं है तो वो बिना आए भी इसे पूरा कर सकते हैं. 

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जिनका कागजी बंटवारा नहीं हुआ उनके लिए क्या है प्रावधान? 
 

जिन लोगों का कागजी बंटवारा नहीं हुआ है. आपसी सहमति से पंचायत से या अन्य माध्यमों से बंटवारा किया गया है. सरकार ने इसके लिए वंशावली का सिस्टम बनाया है. खतियान जिनके नाम से है वहां से लेकर अब तक का वंशावली का निर्माण कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है.  ऐसे हालत में उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन अगर किसी तरह का कोई विवाद है और कोई भी पक्ष हिस्से को लेकर दावा करता है तो बिना कागजी बंटवारे में समस्या हो सकती है. और विवाद अदालत तक पहुंच सकता है.

जमीन एक्सचेंज या ‘बदलेन’ करने वाले के लिए क्या है प्रावधान? 
जमीन एक्सचेंज या ‘बदलेन’ के केस में भी अगर दोनों पक्षों की तरफ से सहमति है तो फिर कोई समस्या का सामना नहीं करना होगा. सरकार उसे वैलिडेट कर देगी और नए कागजात बन जाएंगे. लेकिन अगर कोई भी एक पक्ष इस बात से पीछे हट जाता है तो समस्या बढ़ सकती है. 

क्या कृषि योग्य भूमि और अन्य जमीनों के सर्वे में कोई अंतर होगा? 
नहीं, दोनों ही जमीन का सर्वे एक ही तरह से किया जाएगा. इसमें फर्क यह है कि जमीन बसने योग्य जमीन के प्लॉट छोटे होंगे क्योंकि उसका एरिया कम होगा तो उसकी माप छोटे इंकाईं से होगी. लेकिन सर्वे का तरीका एक ही होगा. 

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