मणिपुर में अमित शाह की बंद कमरे में बैठक में क्या हुआ?

सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट मीटिंग में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, राहत कार्यों में तेजी लाने, जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के साथ ही अफवाहों को दूर करने के लिए बीएसएनएल की टेलीफोन लाइन को फिर से खोलने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया. 

सूत्रों ने कहा कि शाह ने अधिकारियों को राज्य में शांति भंग करने वाली गतिविधियों को लेकर सख्‍ती से निपटने के निर्देश दिए हैं. 

अमित शाह ने कल देर शाम इंफाल पहुंचने के बाद कई बैठकें की हैं. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के मंत्रिमंडल के अलावा उन्होंने राज्यपाल, सुरक्षा बलों और प्रशासनिक अधिकारियों से भी मुलाकात की. 

उन्होंने इंफाल में आज शाम एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता भी की. उन्‍होंने राजनेताओं से राज्य में सामान्य स्थिति और सांप्रदायिक सद्भाव लाने में मदद करने की अपील की. उन्होंने कहा कि केंद्र शांति लाने की पूरी कोशिश कर रहा है. 

उन्‍होंने एक ट्वीट किया, “इंफाल में मणिपुर पुलिस, सीएपीएफ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. मणिपुर की शांति और समृद्धि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, उन्हें शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है.” 

भाजपा के सात विधायकों सहित राज्य के 10 आदिवासी विधायकों की आदिवासियों के लिए अलग राज्‍य बनाने की मांग को लेकर शाह ने कहा कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं होगी और उन्‍होंने समाज के नेताओं से अपील की कि राज्य में अमन-चैन कायम करने में सक्रिय भूमिका निभाएं.

सूत्रों ने कहा कि आदिवासी बहुल चुराचांदपुर में एक बैठक के दौरान गृह मंत्री ने नेताओं से हिंसा को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया और कहा कि जल्द राजनीतिक समाधान शुरू किया जाएगा. 

सूत्रों ने कहा कि हिंसा की सीबीआई जांच का आश्वासन देते हुए शाह ने यह भी कहा कि राज्य के आदिवासी समुदायों के लिए जल्द ही 20 टन चावल की राहत दी जाएगी. 

सूत्रों ने कहा कि चुराचांदपुर में आदिवासी नेताओं, बुद्धिजीवियों और प्रमुख आदिवासी नागरिकों के साथ घंटे भर की बंद चर्चा में शाह ने राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने पर अपनी राय भी रखी. 

बता दें कि मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च के साथ करीब महीने भर पहले शुरू हुए जातीय संघर्ष में 80 से अधिक लोग मारे गए हैं.  

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