मध्य प्रदेश चुनाव: शिवराज सिंह चौहान की नजरें CM पद पर, 5वें कार्यकाल के लिए राज्य का लगातार कर रहे दौरा

मध्य प्रदेश में बीजेपी इस बात से आश्वस्त कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में उपस्थिति चुनाव को पार्टी के पक्ष में करने के लिए पर्याप्त है. इसलिए पीएम मोदी की रैलियों और रोड शो के साथ बीजेपी राज्य में जोर-शोर से प्रचार कर रही है. हालांकि, बीजेपी ने अपनी पॉलिसी के मुताबिक दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान को सीएम कैंडिडेट के रूप में पेश नहीं किया है. इससे इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि इस बार पार्टी ने जिन 7 सांसदों को मैदान में उतारा है, उनमें से एक को चौहान की जगह सीएम पद दिया जा सकता है.

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मध्य प्रदेश की सियासत को करीब से देखने वाले कई लोगों का मानना है कि जनता के बीच ‘मामा’ की छवि बना चुके कम प्रोफाइल वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को निराश किया है. ऐसे में बीजेपी नेतृत्व कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

चौहान को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का नहीं करने दिया गया नेतृत्व

सबूत के तौर पर उन लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी की ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का नेतृत्व करने के लिए भी नहीं कहा गया था. जबकि चौहान ने इसी कार्यक्रम का पिछले तीन चुनावों में नेतृत्व किया था. राज्य में होने वाली ऐसी 5 यात्राओं के लिए 5 नेताओं को प्रभारी बनाया गया है.

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को राज्य के नेतृत्व पर नियंत्रण बढ़ाते हुए देखा गया है. चुनाव से पहले पदाधिकारियों की एक फौज नियुक्त करना भी चौहान के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के पक्ष में जमीन तैयार करने की ओर इशारा करता है.

बीजेपी ने 7 सांसदों और एक राष्ट्रीय महासचिव चुनाव में उतारा

बीजेपी ने हाल ही में 7 सांसदों और एक राष्ट्रीय महासचिव को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया था. इनमें से तीन प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते तो सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं.

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ऐसा लगता है कि बीजेपी के केंद्रीय नेताओं को शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की चिंता है. विपक्षी कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के सोशल वेलफेयर प्रोग्राम के खराब रिकॉर्ड के कारण जनता में गुस्सा है.

राज्य का लगातार दौरा कर रहे हैं चौहान

हालांकि, शिवराज सिंह चौहान जनता के गुस्से से इनकार कर रहे हैं. वह पिछले हफ्तों और महीनों में राज्य का लगातार दौरा कर रहे हैं. चौहान जितना संभव हो सके राज्य के कई शहरों और गांवों का दौरा कर रहे हैं, ताकि जमीनी हकीकत जान-समझ सके. 

‘लाड़ली बहना’ योजना का मिल सकता है फायदा

चौहान ने यह सुनिश्चित किया है कि उनका चेहरा केंद्रीय मंत्रियों की तुलना में चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा दिखाई दे. रैलियों के दौरान ‘लाड़ली बहना’ योजना ने उनके पक्ष में बहुत काम किया है. इस योजना के तहत प्रत्येक महिला लाभार्थी को प्रति माह 1,250 रुपये मिलते हैं.

शिवराज सिंह चौहान को रिप्लेस करना बीजेपी के लिए भी आसान काम नहीं है. मध्य प्रदेश में पार्टी के सबसे बड़े ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता के रूप में उन्हें हटाने का संकेत कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकता है. खासकर विपक्ष की जाति जनगणना की मांग की पृष्ठभूमि में इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है.

पार्टी में अभी चौहान का कोई रिप्लेसमेंट नहीं

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सिर्फ कोई अन्य ओबीसी नेता ही उनकी जगह ले सकता है. पार्टी में इस समय ऐसा कोई नहीं है, जो अनुभव, जन समर्थन और व्यक्तिगत लोकप्रियता के मामले में शिवराज सिंह चौहान की जगह ले सके. कई लोगों का मानना ​​है कि कांग्रेस के ओबीसी पर अपना रुख बदलने और जाति जनगणना की मांग करने के बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की योजनाओं का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. 

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मध्य प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोटर

बता दें कि मध्य प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोटर हैं. राज्य में 17 नवंबर को मतदान है. वोटों की गिनती राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के वोटों के साथ 3 दिसंबर को होगी.

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