“मीडिया ट्रायल कर मुझे दोषी साबित करना गलत…”: विवादों पर बोलीं ट्रेनी IAS पूजा खेडकर


मुंबई:

विवादों में घिरी ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर (Puja Khedkar) ने कहा है कि मुझे दोषी साबित करने वाला मीडिया ट्रायल गलत है. 34 साल की पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी तरीकों के इस्तेमाल का आरोप है, जिसमें कथित तौर पर खुद को दिव्‍यांग और ओबीसी श्रेणियों की गैर-क्रीमी लेयर के तहत गलत तरीके से पेश करना भी शामिल है. 

उन्होंने कहा, “हमारा भारतीय संविधान दोषी साबित होने तक निर्दोष होने के तथ्य पर आधारित है. इसलिए मीडिया ट्रायल द्वारा मुझे दोषी साबित करना वास्तव में गलत है. यह हर किसी का मूल अधिकार है. आप कह सकते हैं कि यह आरोप लगाया गया है लेकिन मुझे इस तरह दोषी साबित करना गलत है.” 

खेडकर ने कहा कि वह विशेषज्ञ समिति के सामने गवाही देंगी और “समिति के निर्णय को स्वीकार करेंगी”. उन्होंने कहा, “मेरी जो भी दलील है, मैं उसे समिति के सामने रखूंगी और सच्चाई सामने आ जाएगी.”

आरटीआई कार्यकर्ता ने लगाए थे आरोप  

पुणे के एक आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने खेडकर पर आरोप लगाया था कि वह ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर के अंतर्गत नहीं आती हैं, क्योंकि उनके पिता के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसके बाद से ही खेडकर की स‍िविल सर्विस में नियुक्ति को लेकर आरोप लग रहे हैं. 

उन्‍होंने कहा, “नियमों के अनुसार केवल वे ही ओबीसी गैर-क्रीम लेयर श्रेणी में आते हैं, जिनके माता-पिता की आय 8 लाख प्रति वर्ष से कम है, लेकिन उनकी आय से पता चलता है कि यह 40 करोड़ है. उनके माता-पिता ने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ा और सारी संपत्ति विवरण हलफनामे में हैं.” 

फर्जी प्रमाण पत्रों को लेकर भी कर रहीं जांच का सामना 

खेडकर कथित रूप से अपने अधिकारों के दुरुपयोग और सिविल सेवा परीक्षा के लिए अर्हता हासिल करने के लिए फर्जी दिव्‍यांगता और जाति प्रमाण पत्र जमा करने के लिए भी जांच का सामना कर रही हैं. 

पुणे के कलेक्टर ने खेडकर को लेकर महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव के पास शिकायत की है, जहां 2023 बैच की आईएएस अधिकारी खेडकर सहायक कलेक्टर के रूप में तैनात थीं. आरोप लगाया गया था कि उन्हें अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती और “महाराष्ट्र सरकार” स्टिकर का उपयोग करते पाया गया. वह पुणे के अतिरिक्‍त कलेक्‍टर अजय मोरे के ऑफिस का भी उपयोग करती थीं, जब वे बाहर थे. उन्होंने कथित तौर पर ऑफिस फर्नीचर हटाने के साथ ही लेटरहेड और वीआईपी नंबर प्लेट की मांग की. साथ ही उन्‍होंने एक अलग घर और कार की मांग भी की. हालांकि यह 24 महीने तक परिवीक्षा पर रहने वाले कनिष्ठ जूनियर अधिकारियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं.

बाद में उन्हें वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया. 

खेडकर ने जांच पर टिप्‍पणी करने से किया इनकार 

उन्‍होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “यहां प्रोबेशनरी अधिकारी के रूप में मेरा काम काम करना और सीखना है और मैं यही कर रही हूं. मैं उस (जांच) पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती. जब भी समिति का निर्णय आएगा, वह सार्वजनिक होगा और जांच के लिए खुला होगा, लेकिन अभी मुझे आपको चल रही जांच के बारे में बताने का कोई अधिकार नहीं है.” 

इस विवाद के बीच सामने आया है कि प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी ने 2007 में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र जमा किया था. 

गैर क्रीमी लेयर का ओबीसी प्रमाण पत्र किया था पेश 

श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज और जनरल हॉस्पिटल के निदेशक अरविंद भोरे ने कहा कि खेडकर ने एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट ऑफ अनएडेड प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज ऑफ महाराष्ट्र (एएमयूपीडीएमसी) प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए एक सीट हासिल की और 200 में से 146 अंक हासिल किए थे. उन्होंने 2007 में कॉलेज के पहले बैच में दाखिला लिया था. साथ ही भोरे ने आरोप लगाया कि उन्‍होंने गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके खानाबदोश जनजाति -3 श्रेणी के माध्यम से सीट हासिल की थी. 

खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा था कि “यह संभव नहीं है”. 

जब उनसे इन मेडिकल प्रमाणपत्रों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “इन तकनीकी चीजों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति की स्थापना की गई है. मैं समिति को अपना जवाब प्रस्तुत करूंगी. विशेषज्ञों को निर्णय लेने दीजिए. जो भी मामला होगा, वह जनता के सामने आ जाएगा.”

किसानों को पिस्तौल से धमकाने के आरोप में पूजा खेड़कर के माता-पिता मनोरमा खेड़कर और दिलीप खेड़कर के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. 

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