मुंबई की सड़कों से ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन तक, जानें कौन हैं सुरेश श्यामलाल गुप्ता 

AICWA के फाउंडर हैं सुरेश श्यामलाल गुप्ता

नई दिल्ली :

मुंबई की व्यस्त सड़कों से लेकर फिल्मी गलियारों तक सुरेश गुप्ता का सफर एक समर्पण और सेवा की कहानी है. सुरेश श्यामलाल गुप्ता का जन्म 26 मार्च, 1988 को हुआ था. उनकी माता का नाम प्रेमादेवी गुप्ता है. सुरेश की जड़ें उत्तर प्रदेश के गांव बोररा, प्रतापगढ़ में हैं. श्यामलाल गुप्ता की शैक्षिक यात्रा उन्हें पहेली से चौथी तक संदेश विद्यालय स्कूल से पाँचवी से दसवीं तक उत्तर भारतीय सभा स्कूल तक और अंततः ग्यारवी से बारवी तक एस.के. सोमैया कॉलेज में ले गई, जहां उन्होंने अपनी एकाग्रता को प्रौद्योगिकी और नवाचार में दिखाया, जो उन्हें पद्मभूषण वसंतदादा पाटील प्रतिष्ठान इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्री तक पहुंचाई.

श्यामलाल गुप्ता का सफर 

भले ही उनका प्राथमिक शैक्षिक पृष्ठ तकनीकी परंपरा और सिनेमा हो, लेकिन सुरेश गुप्ता की असली पुकार राजनीति और सामाजिक क्रांति में थी, जिस पर उन्होंने अपना रुझान कॉलेज के दिनों में शुरू किया. 2006 में गुरुदास कामत के परिपालन में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होते हुए अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. उनकी प्रारंभिक भूमिका सेवा दल कांग्रेस के वार्ड प्रेसिडेंट के रूप में शीघ्र तालुका प्रेसिडेंट में बदल गई और 2009 में वह युवा कांग्रेस के वार्ड प्रेसिडेंट बने.

2013 में गुप्ता की उच्चता बढ़ी जब उन्होंने भारतीय नेशनल ट्रेड यूनियन के युवा पंख के मुंबई प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी ली और बाद में 2014 में सचिव बन गए. उनका गरीबों के हक़ के लिए व्यक्तव्य मिला, जब उन्होंने एसआरए परियोजना के मुद्दे को उठाया, जहां निर्माता गरीब लोगों को वादा की हुई आवास प्रदान करने में विफल रहे थे.

2016 में की AICWA की स्थापना 

2016 में सुरेश गुप्ता ने ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) की स्थापना की. यह एक गैर-लाभकारी संगठन जो सिनेमा के कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण की आवाज को उठाता है. उनका एक लक्ष्य है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को असंघठिक क्षेत्र से सांघटिक क्षेत्र में करना है ताकि मजदूरों और कलाकारों को सरकार से सभी सुविधा मिल सके. श्यामलाल गुप्ता का सिनेमा उद्योग के श्रमिकों के प्रति समर्पण से एक महत्वपूर्ण बैठक विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल और श्रम मंत्री संभाजी निलगेकर के साथ हुई, जिससे महाराष्ट्र सरकार ने सिनेमा उद्योग में कलाकारों और श्रमिकों के कल्याण के लिए एक समिति बनाने का निर्णय लिया.