सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों पर लगाया विराम, विशेषज्ञों ने कहा – गड़बड़ी थी ही नहीं

बाजार विशेषज्ञ और कानून के जानकारों ने एनडीटीवी को बताया कि अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की ओर से अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट को हिंडनबर्ग मामले में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की जांच रिपोर्ट में हस्तक्षेप करने का कोई ठोस कारण नहीं मिला. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता अदाणी-हिंडनबर्ग मामला जांच के लिए SIT को ट्रांसफर करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सके.

अप्रमाणित आरोप केवल इनपुट, सबूत के रूप में मान्य नहीं : हरीश साल्वे

अनुभवी वकील हरीश साल्वे ने एनडीटीवी से कहा कि अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग आरोपों में सेबी का समर्थन करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कानून के शासन की वापसी हुई है. पूर्व अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि फैसले का अन्य खास बातें शक्तियों के पृथक्करण पर जोर देना है, जो कि लंबे समय में लोकतंत्र को फलने-फूलने में मददगार होगा. उन्होंने कहा, “अगर इन दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया जाए तो लंबे समय तक लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता.” हरीश साल्वे ने कहा कि यह फैसला अदाणी समूह के लिए “सिर्फ एक पुष्टि से कहीं अधिक” है.

हरीश साल्वे ने कहा कि, “कानून का शासन सर्वोच्च है” और इसके तहत नियामक एजेंसियों द्वारा अप्रमाणित आरोपों को केवल इनपुट के रूप में माना जा सकता है, सबूत के रूप में नहीं.”

हिंडनबर्ग जैसे एसोसिएशन या कंपनी का काम सिर्फ अपना प्रॉफिट बनाना : मुकुल रोहतगी

पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एनडीटीवी से कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कई अहम चीजें हैं. सेबी की इनवेस्टिगेशन सेबी के पास ही रहे, किसी और को ट्रांसफर न की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी अच्छा काम करती है. इनवेस्टिगेशन 24 में से 22 मुद्दों में कम्पलीट हो चुकी है. कोर्ट ने सेबी को नई रेगुलेशन बनाने का कहने की याचिकाकर्ताओं की दलील भी रिजेक्ट कर दी. जो भी मुद्दे पिटीशनर्स ने रखे वे सारे मुद्दे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी अनवेरीफाइट रिपोर्ट को मुकदमों का बेस नहीं बनाया जा सकता. ऐसी रिपोर्ट पेश करना कोई सबूत नहीं. हिंडनबर्ग जो एसोसिएशन या कंपनी है, इनका काम सिर्फ अपने प्रॉफिट बनाने का है.       

जांच किसी और एजेंसी को ट्रांसफर करने का कोई कारण नहीं : संदीप पारेख

फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संदीप पारेख ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी रिसर्च रिपोर्ट पर नहीं बल्कि SEBI की जांच पर भरोसा जताया है. सुप्रीम कोर्ट को सेबी की जांच को किसी और एजेंसी को ट्रांसफर करने के लिए कोई कारण नहीं मिला. अब SEBI को अपनी जांच पूरी करनी है. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI पर भरोसा जताया कि वो जांच को एक तार्किक नतीजे तक लेकर जाएगी, जिसमें 2 बाकी जांच भी शामिल हैं.

अदाणी ग्रुप के लिए बड़ी जीत : सिद्धार्थ लूथरा

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि SEBI के कामकाज करने के तरीके में दखल देने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को नहीं है. याचिकाकर्ता रेगुलेशंस को लेकर सवाल उठा रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इसमें कोई कमी नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI की रिपोर्ट पर माना कि इसमें कोई खामी नहीं है. कोर्ट द्वारा  SEBI को दो मामलों की जांच करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया है. यह फैसला अदाणी ग्रुप के लिए एक बड़ी जीत है और इस बात पर सवाल खड़ा करता है कि किस आधार पर याचिकर्ताओं ने अपील की.

पूर्व ASG सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन चीजें कही हैं. अदालत ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट सही नहीं है, इसीलिए उसको माना नहीं जा सा सकता. कोर्ट ने दूसरी बात ये कही कि सेबी और कानून पर संदेह नहीं किया जा सकता,  इसमें SIT की जांच की जरूरत नहीं है इसलिए अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. उनका मानना है कि अभी तक सेबी की रिपोर्ट में अदाणी को क्लीन चिट दी है और दो मामलों की जांच चल  रही है. 

भारत के इन्फ्रा डेवलपमेंट के लिए अच्छी खबर : अभय अग्रवाल

पाइपर सेरिका के फाउंडर अभय अग्रवाल का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहना है कि ये भारत के इन्फ्रा डेवलपमेंट के लिए अच्छी खबर है. उन्होंने कहा कि ये पूरा मामला इतना नहीं खिंचना चाहिए था. इससे निवेशकों को बहुत समय खराब हुआ है. हालांकि इससे अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों पर पूरी तरह विराम लग गया. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि किसी ने ग्रुप से पैसे निकालने की कोशिश नहीं की और ये साफ हो गया है कि हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों पर भरोसा नहीं करना चाहिए. अगली बार हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों को नजरअंदाज कर दिया जाएगा. 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद महत्वपूर्ण : नलिन कोहली

बीजेपी के नेता नलिन कोहली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर NDTV से कहा कि इस केस के कई पहलू हैं. पहली बात है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने कई ऐसे लोग हैं जो हमेशा जाते हैं जो हमेशा शंका उठाते हैं. विदेश में कोई एक रिपोर्ट छपती है. देश में SEBI है जिसकी वो जांच करती है. SEBI भी एक संवैधानिक संस्था है. उन्होंने आगे कहा कि अब किसी एक शख्स ने कहा कि मुझे SEBI की जांच पर शंका है तो आप जांच किसी और को दे दीजिए. ये कैसे हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात को रखा है कि जब SEBI इस मामले की जांच कर रही है तो किसी और को जांच देने का सवाल ही कहां से उठता है. हिंडनबर्ग एक प्राइवेट संस्था है. ऐसे में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है वह बेहद महत्वपूर्ण है. 

नलिन कोहली ने कहा कि अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि विदेश में किसी की सोच के आधार पर और देश में किसी की राजनीतिक इच्छाओं के कारण क्या एजेंडा चलाए जाएंगे? ये भी देखना बेहद जरूरी है कि क्या इस मामले में हिंडनबर्ग ने किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं किया है. हिंडनबर्ग कोई ऐसी संस्था नहीं है. उसका कनेक्शन भी विदेश में किसी एक व्यक्ति के साथ है जो पैसे कमाते हैं. 

शॉर्ट सेलिंग करने वाली कंपनियों पर कोई कानून तुरंत बने : विनायक चटर्जी

 

इन्फ्राविजन फाउंडेशन के संस्थापक विनायक चटर्जी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संकेत मिले हैं कि शॉर्ट सेलिंग करने वाली कंपनियों पर कोई कानून तुरंत बनना चाहिए. इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को भी संकेत दिए हैं कि ऐसे मामलों को सख्ती के साथ देखना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा कुछ ना हो, जिससे निवेशकों, बिजनेसमैन और देश को नुकसान पहुंचे. इस पूरे मामले से भारत की छवि को गहरा नुकसान तो पहुंचा है. लेकिन यह भी खुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भारत पर किसी भी तरह से हमला करना आसान नहीं है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट का हमारे देश की ग्रोथ स्टोरी पर कोई असर नहीं : कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि, जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई थी, तभी मैंने कहा था कि इसका हमारे देश की ग्रोथ स्टोरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उस वक्त हिंडनबर्ग ने इसे इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड करार दिया था, जिसे मैंने बेबुनियाद बताया था. आखिर में हुआ भी वैसा ही, जैसा मैंने कहा था कि इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

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