हिंडनबर्ग का चाइनीज़ कनेक्शन तो था ही, भारतीय मददगारों की भी जांच होनी चाहिए : महेश जेठमलानी


नई दिल्ली:

बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग और मार्क किंगडन को नोटिस जारी किए जाने के बाद से SEBI की रिपोर्ट से हिंडनबर्ग और किंगडन की मिलीभगत के कई खुलासे हुए हैं, और अब जाने-माने वकील महेश जेठमलानी ने न सिर्फ़ अमेरिकी शॉर्टसेलर और अमेरिकी व्यवसायी किंगडन की पोल खोली है, बल्कि अदाणी ग्रुप के ख़िलाफ़ इस साज़िश को अंजाम देने वालों का चाइनीज़ कनेक्शन उजागर किया है, और उन भारतीय शख्सियतों पर भी सवाल खड़े किए हैं, जो साज़िश रचने वालों के पीछे हो सकती हैं.

महेश जेठमलानी ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर लिखा है, “हिंडनबर्ग द्वारा अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की शॉर्टसेलिंग के घिनौने किस्से में एक बेहद ठोस सबूत सामने आया है… हिंडनबर्ग को SEBI के नोटिस के मुताबिक, नीचे लिखे तथ्य सामने आए हैं…”

महेश जेठमलानी ने इसके बाद अपने ट्वीट में हिंडनबर्ग और किंगडन की सांठगांठ और कोटक महिन्द्रा बैंक की भूमिका का ज़िक्र करते हुए लिखा, “1. हिंडनबर्ग रिसर्च एजेंसी को अमेरिकी व्यवसायी मार्क किंगडन ने अदाणी ग्रुप पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए नियुक्त किया था… 2. किंगडन ने अदाणी शेयरों की खरीदफ़रोख्त के लिए ऑफ़शोर फंड और ऑफ़शोर खाते बनाने की खातिर कोटक की अंतरराष्ट्रीय निवेश शाखा, यानी KMIL से संपर्क किया, और इस रह कोटक इंडिया अपॉर्चुनिटी फ़ंड (KIOF) अस्तित्व में आया…”

इसके बाद महेश जेठमलानी ने साज़िश में शामिल किंगडन के चाइनीज़ कनेक्शन का ज़िक्र भी साफ़-साफ़ किया, और लिखा, “3. KIOF ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट तैयार होने से भी पहले मॉरीशस रूट के ज़रिये अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी तादाद में शॉर्ट पोज़ीशन ले लीं… इसके लिए फ़ंड (4 करोड़ अमेरिकी डॉलर) किंगडन के मास्टर फ़ंड से उपलब्ध करवाए गए, जिसमें खासी बड़ी हिस्सेदारी किंगडन परिवार के ही पास है, और इस परिवार में किंगडन की हाई-प्रोफ़ाइल पत्नी एनला चैंग शामिल है…”

महेश जेठमलानी इसके बाद साफ़-साफ़ एनला चैंग की चीन के साथ मिलीभगत और सहानुभूति को उजागर करते हुए लिखते हैं, “जो कुछ भी हुआ, उसमें सभी बातें अब तक सार्वजनिक हो चुकी हैं, लेकिन जो ठोस सबूत अब तक छिपा हुआ है, वह यह है कि एनला चैंग चीनी मूल की अमेरिकी हैं, जो अमेरिका में चीन के हितों के काम करने वाली बेहद असरदार लॉबीस्ट हैं… एनला चैंग एक वक्त में SupChina की CEO थीं, जो चीन-समर्थक मीडिया कॉर्पोरेट इनिशिएटिव था… SupChina पर एक व्हिसलब्लोअर ने अमेरिकी कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में शपथ लेकर आरोप लगाया था कि वह चीन के हित में समाचारों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है, और इसके बाद SupChina को द चाइना प्रोजेक्ट नामक इकाई में तब्दील कर दिया गया… हालांकि बाद में कुछ अमेरिकी सीनेटरों (सांसदों) ने द चाइना प्रोजेक्ट की विध्वंसक गतिविधियों और उसके चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी से रिश्तों की जांच की मांग की, और तब द चाइना प्रोजेक्ट भी बंद हो गया…”

महेश जेठमलानी ने इसके बाद अपने ट्वीट में अदाणी ग्रुप के ख़िलाफ़ साज़िश करने वालों के भारतीय मददगारों पर भी सवाल उठाए हैं, और SEBI को उनके विरुद्ध जांच का सुझाव दिया. उन्होंने लिखा, “कुछ मुद्दों की गहराई से जांच किए जाने की ज़रूरत है… 1. किंगडन परिवार का परिचय KMIL से किसने करवाया था… KMIL ने किंगडन परिवार को लेकर क्या-क्या सावधानियां बरती थीं… क्या KMIL ने खुद भी पार्टी बनकर शॉर्टसेलिंग में हिस्सा लिया…?”

इसके बाद महेश जेठमलानी साफ़-साफ़ लिखते हैं, “2. क्या सभी भारतीय किरदार – राजनेता हों, व्यवसायी हों या वित्तीय बिचौलिये हों – जिस किसी ने भी हिंडनबर्ग को उसकी अदाणी रिपोर्ट तैयार करने और शॉर्टसेलिंग के बाद उसे प्रकाशित करने में मदद की, क्या वे शॉर्टसेलिंग के मकसद के बारे में जानते थे और क्या उन्हें भी इससे वित्तीय लाभ हुआ…?”

किसी का भी नाम लिए बिना अपने ट्वीट के अंत में महेश जेठमलानी ने अंतिम सवाल कर गेंद को SEBI के पाले में डालते हुए लिखा, “3. क्या KMIL और उक्त भारतीय किरदारों को हिंडनबर्ग के चीनी कनेक्शन के बारे में जानकारी थी…? चलते हैं SEBI के पास…”

महेश जेठमलानी इससे पहले भी लिख चुके हैं कि भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी अदाणी समूह को कमज़ोर करने का अभियान चलाया जा रहा है, जिसने अपनी काबिलियत के बूते दुनियाभर में पहुंच बनाने के चीन के मंसूबे को नाकाम किया है. अदाणी ग्रुप ने चीन की बोली (बिड) के ख़िलाफ़ श्रीलंका में जाफ़ना के पास कोयला प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट जीता. ऑस्ट्रेलिया में गैलीली बेसिन में अदाणी ग्रुप ने खुद की कोयला परियोजना के निकट अपने रेललाइन कन्स्ट्रक्शन प्लान को छोटा कर दिया था, ताकि पास में ही मौजूद चीनी प्लान्ट के काम न आ सके, और इससे चाइनास्टोन परियोजना कतई अव्यवहार्य हो गई. इसके अलावा, अदाणी ग्रुप ने इज़़राइल के हैफ़ा में एक बंदरगाह की खरीद के लिए भी चीन से बढ़कर बोली लगाई थी.

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