2 महीने में 6 चीतों की मौत के बारे में सरकार ने क्या कहा?

भोपाल:

केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में दो महीने के भीतर तीन शावकों सहित छह चीतों की मौत के पीछे किसी भी तरह की चूक से इनकार किया है. एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी चीता की मौत के पीछे कोई चूक नहीं है. यहां तक ​​कि तीन चीता शावकों की मौत के मामले में भी, वैश्विक वन्यजीव साहित्य में स्पष्ट रूप से चीतों के बीच 90% प्रतिशत शिशु मृत्यु दर का उल्लेख है. हमने दो अफ्रीकी देशों से केएनपी में लाए गए चीतों के साथ किसी भी तरह का कोई परीक्षण नहीं किया है. चीता एक साथ रहते हैं इस कारण किसी एक पुरुष चीता के साथ मादा चीता का का संभोग भी किसी परीक्षण के रूप में नहीं किया गया है.

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मादा चीतें की मौत को लेकर कहा गया है कि चीतों की आपसी संघर्ष के कारण उसकी मौत हुई. केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि चीता संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को चीता परियोजना के तहत दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया में अध्ययन दौरे के लिए चुना जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित चीता सुरक्षा बल के संरक्षण, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रस्तावित वित्तीय संसाधनों सहित हर संभव सहयोग प्रदान किया जायेगा.

यादव ने भोपाल में एक उच्च स्तरीय बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के वन मंत्री डॉ. विजय शाह और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चीता परियोजना के संबंध में चर्चा की. उन्होंने भोपाल में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (IIFM) में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 23वीं बैठक की अध्यक्षता भी की.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट है और यह प्रतिष्ठा का विषय है. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रोजेक्ट चीता की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है. चौहान ने कहा कि शुरुआत में ही चीता के शावकों के जीवित रहने की दर की जानकारी दे दी गयी थी. चीता परियोजना से जुड़ा पूरा स्टाफ समर्पित भाव से काम कर रहा है. परियोजना की प्रगति संतोषजनक है.

 चौहान ने कहा कि शुरुआत में ही चीता के शावकों के जीवित रहने की दर की जानकारी दे दी गयी थी. चीता परियोजना से जुड़ा पूरा स्टाफ समर्पित भाव से काम कर रहा है. परियोजना की प्रगति संतोषजनक है.

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