कर्नाटक हाईकोर्ट ने चेताया, जांच में मदद नहीं की तो भारत में फेसबुक का संचालन बंद कर दिया जाएगा

फर्जी प्रोफाइल की जांच करने में पुलिस के नाकाम रहने पर कविता ने हाईकोर्ट का रुख किया. उनकी याचिका मूल रूप से 2021 में दायर की गई थी. न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने बुधवार को इसकी सुनवाई की.

इससे पहले, 12 जून को उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था,‘‘पुलिस आयुक्त मंगलोर (मंगलुरु) को मामले के कागजात पढ़ने और अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया जाता है. वह जवाब दें कि विषय की जांच करने में इतनी देर क्यों हुई, जब इस देश का एक नागरिक विदेश में मुकदमे व दोषसिद्धि के बाद जेल में है, जो दावा कर रहा है कि उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था.”

मंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त कुलदीप कुमार जैन और मामले के जांच अधिकारी बुधवार को उच्च न्यायालय में मौजूद थे.

कविता की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि शैलेश पिछले 25 वर्षों से सऊदी अरब में काम कर रहे थे. उन्होंने भारत सरकार के संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के समर्थन में एक पोस्ट किया था. उन्हें इस पोस्ट को लेकर धमकी भरा कॉल आया, जिसके बाद उन्होंने अपना अकाउंट हटा दिया.

शिकायत में कहा गया है कि इसके बाद कुछ बदमाशों ने उनके नाम पर एक फर्जी अकाउंट बनाया और सऊदी के शासक एवं इस्लाम के खिलाफ एक अपमानजनक पोस्ट अपलोड कर दिया. इस पोस्ट के बाद, शैलेश को सऊदी अरब में गिरफ्तार कर लिया गया, मुकदमा चलाया गया और 15 साल कैद की सजा सुनाई गई. शैलेश द्वारा मुहैया कराई गई सूचना के आधार पर उनकी पत्नी ने अपने पति के नाम की फर्जी प्रोफाइल के बारे में पुलिस में शिकायत दी. 

पुलिस आयुक्त ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया कि जांच में देर हुई क्योंकि फेसबुक ने पुलिस के साथ सहयोग नहीं किया. हाईकोर्ट ने जब फेसबुक के वकील से सवाल किया तो उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें घटना के सटीक स्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इस पर, कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि उसने जांच में सहयोग नहीं किया तो फेसबुक के संचालन को बंद करने का आदेश देना पड़ेगा.

वकील ने जरूरी विवरण सौंपने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा. हाईकोर्ट ने सुनवाई 22 जून तक के लिए टालते हुए फेसबुक को घटना और संबद्ध सूचना पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को याचिका में 29 मई 2023 को एक पक्ष बनाया गया.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह एक फर्जी मामले में विदेशी जेल में कैद भारतीय नागरिक की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दे. अदालत ने 12 जून के आदेश में कहा, ‘‘केंद्र सरकार भी एक सीलबंद लिफाफे में यह विवरण दे कि संबद्ध नागरिक का क्या हुआ; विदेशी धरती पर क्या उसे वकील मुहैया कराया गया; क्या मुकदमे की कार्यवाही निष्पक्ष मानकों के साथ हुई….”

अदालत ने केंद्र को चेतावनी दी कि यदि मांगे गए विवरण नहीं दिए जाते हैं तो विदेश विभाग के संबद्ध सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष तलब किया जा सकता है.

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