‘तारे जमींन पर’ के ईशान के पापा एक्टर विपिन शर्मा ने इरफान खान के साथ बताया रुहानी रिश्ता, बोले- मैं उनके अंतिम संस्कार पर…

1. आपने दूरदर्शन के ‘भारत एक खोज’ सीरियल से शुरुआत की थी. लगभग चार दशक में मनोरंजन उद्योग किस तरह से बदला है?

जवाब- मुझे लगता है बहुत सारी चीजें बदल गई हैं. वक्त अलग था जब फिल्में बनती थी. एक वक्त था जब मॉनीटर होता ही नहीं था तो डायरेक्टर और असिस्टेंट ट्रायपॉड या कैमरे के नजदीक बैठते थे. मुझे आज भी एक किस्सा याद है जब कैमरा में व्यू फाइंडर नहीं हुआ करता था और जब पहली बार एक असिस्टेंट ने ज्वाइन किया और हमने व्यू फाइंडर देखा तो हम तालियां बजाया करते थे और वो बहुत अच्छा रिचुअल हुआ करता था. फिल्म मेकिंग का इस तरह का वो प्रयास बहुत ही शानदार होता था. और मुझे साफ तौर पर याद है जब मैंने पहली बार व्यू फाइंडर में इमेज देखा, वो बहुत क्लियर था, जिससे मुझे बहुत खुशी मिली थी. तब से लेकर अब तक बहुत सी चीज़ें बदली हैं, अच्छा और बुरा भी चलता रहता है. गलतियां भी होती रहती हैं और उनसे सीखकर हम आगे बढ़ते रहते हैं.

2. आपने टीवी, फिल्में और ओटीटी सब पर काम किया है. इसमें एक्टिंग को लेकर किस तरह का डिफरेंस पाते हैं?

जवाब – मैं हमेशा कहता हूं कि इसमें ज़्यादा अंतर नहीं है. आपको एक्टिंग करनी है, चाहे वो टीवी ही, फिल्म हो या ओटीटी हो. इसमें ज्यादा अंतर नहीं है. बस ये अंतर है कि जब आप थिएटर करते हो और आपके सामने 300 लोग हैं तो आपको हर एक तक पहुंचना है. आप कोई डायलॉग बोल रहे हैं तो वो इतना लाउड होना चाहिए कि आपके हर एक दर्शक तक पहुंचे, इसके अलावा तो और कुछ ख़ास फ़र्क नहीं है. एक्टिंग तो करनी ही है, इसलिए मैं अपनी परफॉर्मेंस पर फोकस करता हूं. तीनों में से अगर मुझे चूज करना हो तो मैं उसे चुनूंगा जहां मेरा रोल बहुत अच्छा हो. कोई आईफोन पर फ़िल्म बनाना चाहता हो और बहुत कमाल का रोल है, मैं करूंगा. मेरे लिए रोल इंपोर्टेंट है. मीडियम नहीं. 

3. मनोज बाजपई के साथ सिर्फ एक बंदा काफी आपकी फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई और अब सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ऐसा बहुत ही कम फिल्मों के साथ होता है, तो इसके बारे में क्या कहना चाहेंगे?

जवाब – इस पर मैं आपके साथ एक किस्सा शेयर करूंगा. मैंने अभी इरफ़ान ख़ान की लास्ट फ़िल्म देखी थी और इरफ़ान के साथ मेरा बहुत रूहानी सा रिश्ता रहा है. मेरे बहुत क्लोज़ दोस्त थे और मैंने जब इस फ़िल्म को बड़े परदे पर देखा तो मुझे लगा कि मैं उनसे फिर से मिल लिया. और बहुत समय हो गया था उससे मिले हुए. क्योंकि आखिरी बार जब मैंने उसे देखा था उसका इलाज शुरू हुआ था लंदन में, तो मैंने जब उसे स्क्रीन पर देखा मुझे ऐसा लगा मैं मिल गया उससे. मैं उनके अंतिम संस्कार पर पहुंच नहीं पाया था. तो मेरे अंदर ये था कि मैंने उन्हें देखा नहीं. ( यहां पर विपिन वर्मा इरफ़ान ख़ान को याद कर भावुक हो जाते हैं)

इसके बाद इरफ़ान खान के बेटे बाबिल के बारे में बताते हैं कि बाबिल की पहली परफॉर्मेंस कमाल की रही थी और वो गाता भी है, तो मैं देख रहा हूं कि उसका फ्यूचर बहुत ब्राइट है. 

तो मेरी बात अधूरी रह गई थी, तो सिनेमाहॉल यानी बड़ी स्क्रीन के साथ आपका इमेज अलग होता है. छोटी स्क्रीन के साथ अलग होता है. तो बंदा को जब लोग बड़े स्क्रीन पर  देखेंगे तो एक गहरा कनेक्शन उन्हें लगेगा. बड़े स्क्रीन का कनेक्शन अलग होता है. छोटे स्क्रीन का भी होता है कनेक्शन, लेकिन जो सिनेमा का मैजिक है, तो वो बड़े स्क्रीन का बिल्कुल अलग है. तो मैं बड़ा खुश हुआ ये सुनकर कि हमारी फ़िल्म लोग बड़े स्क्रीन पर देखेंगे. 

4. इरफान, आमिर, नसीरुद्धीन शाह और मनोज बाजपई के साथ आपने काम किया है तो उनके साथ काम करके आपने ऐसी कौनसी चीज सीखी, जो आपके काम भी आई हो

जवाब – मैं जिस भी एक्टर के साथ काम करता हूं हमेशा मैं उनको बहुत गौर से देखता हूं, उनका प्रोसेस देखता हूं. किस तरह से अपने आप को उस कैरेक्टर में ढाल रहे हैं. और इससे ज़्यादा मुझे उनसे सीखने का मौका तब मिलता है जब उनके साथ अलग से, फ़िल्म के शूट के अलावा भी एक दूसरे को जानने की कोशिश करते हैं. कई बार क्या होता है कि आपके मन में एक इमेज होता है हर एक का, कि भई ये एक्टर ऐसा है, इसका इमेज ऐसा है. लेकिन अक्सर क्या होता है कि जब आप उनके साथ काम करते हो तो उनका एक अलग रूप दिखता है. एक इंसानी रूप दिखता है. एक्टर से अलग, मेरे लिए वो बहुत इंपोर्टेंट होता है और मैं बड़ा खुशकिस्मत रहा हूं की मैंने सबके साथ काम किया. जिन जिन के साथ मैंने काम किया, उनसे सीखने की कोशिश की है. एक एक्टर के तौर पर, एक इंसान के तौर पर , कि कैसे आप आसपास जो लोग हैं वो एक्टिंग को देखते हैं. कितना पैशन है उनके अंदर. ये सब सीखने वाली चीजें हैं जो आप सबसे सीखते हैं. मेरे लिए जहां से भी नॉलेज मिलती है मैं उसको पकड़ के रखता हूं. 

5. बॉलीवुड को लेकर पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि फिल्में बन तो रहीं हैं लेकिन बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं पा रहीं. इसकी क्या वजह आपको लगती है और क्या बदलाव इसे लेकर होने चाहिए?

जवाब – मेरा सबसे बड़ा इसमें ऑब्जर्वेशन ये रहा है कि शायद अब लोगों को ये समझ में आने लगा है कि कहानी जो है ना वो किंग है. कहानी सबसे बड़ी चीज़ है. आपकी कहानी में दम है, वो लार्जर देन लाइफ हो, ओवर द टॉप हो, कुछ भी हो, वो आपको छुएगी. स्टोरी इंपोर्टेंट है और आजकल इंटरनेशनल सिनेमा भी बहुत सारा एक्सपोजर हो चुका है. और आज का जो यूथ है वो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर देख रहे हैं सिनेमा, और एक कहानी को कहने के लिए लार्जर देन लाइफ की ज़रूरत है तो क्यों नहीं. और फिल्म इंडस्ट्री में 2 एस्पेक्ट होते हैं एक बिज़नेस और दूसरा आर्ट और दोनों का कॉम्बिनेशन बनाना सबसे ज़रूरी है. और इसके लिए हमारे हिंदी सिनेमा को ज़्यादा सोच समझकर काम करना पड़ेगा. 

6. आपके आने वाले प्रोजेक्ट कौन से हैं.

जवाब – मैं अपने रोल को लेकर ज्यादा डिटेल में तो बात नहीं कर पाऊंगा. लेकिन मेरी एक फ़िल्म है देव पटेल के साथ मंकी मैन जो इस साल के अंत तक आने वाली है. मैं उसको लेकर बहुत उत्साहित हूं क्योंकि उसमें मैंने एक ऐसा रोल किया है, जिस अवतार में अब तक आपने मुझे नहीं देखा होगा. इसके अलावा मैं ऑनर किलिंग के सब्जेक्ट पर एक फ़िल्म की है वो भी हॉलीवुड फ़िल्म के इंडियन डायरेक्टर है तरसेम सिंह उनके साथ की है. और एक या दो वेब सीरीज है उनका शूट अभी चल रहा है. वो भी आने वाली हैं और मैं इन आने वाले प्रोजेक्ट्स को लेकर काफी एक्साइटेड हूं.