मणिपुर का दौरा करेंगे I.N.D.I.A. के 21 सांसद, सरकार और संसद को जमीनी हालात से कराएंगे अवगत

इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और फूलोदेवी नेताम, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल हेगड़े, तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी, द्रमुक की कनिमोई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पीपी मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके पार्टी के टी थिरुमावलवन शामिल होंगे.

इनके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, जदयू के अनिल हेगड़े, भाकपा के संदोश कुमार, माकपा के ए ए रहीम, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता, द्रमुक के डी रवि कुमार और आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर भी इस प्रतिनिमंडल का हिस्सा होंगे.

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने मणिपुर हिंसा की उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की.

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गोगोई ने कहा, “भाजपा यह तस्वीर पेश करना चाहती है कि मणिपुर में सब कुछ ठीक है, जबकि हिंसा अब भी जारी है. इसलिए हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराई जाए कि यह सब कैसे हुआ.”

उन्होंने प्रदेश सरकार पर विफलता का आरोप लगाया और सवाल किया कि इतने लोगों को हथियार कैसे मिले? गोगोई ने कहा “मैं मणिपुर जाऊंगा और सच्चाई का पता लगाऊंगा. उस सच्चाई को संसद के सामने रखूंगा.”

तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश देना चाहता है कि हम मणिपुर के लोगों के साथ हैं. उन्होंने कहा, “हम चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि राज्य में शांति लौटे. सरकार विफल रही है, इसलिए हम वहां जाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या समाधान निकाला जा सकता है.”

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द्रमुक के नेता टी आर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार को सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि वहां क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ है. आरएसपी के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस दौरे का लक्ष्य राज्य में होने वाली घटनाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करना है. उन्होंने कहा, “हिंसा अभी भी जारी है, इसलिए हम प्रत्यक्ष रूप से जानकारी हासिल करना चाहेंगे तथा लोकसभा में चर्चा से पहले सरकार और संसद को कुछ समाधान एवं सिफारिशें सुझाना चाहेंगे.”

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है.

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी. उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे.

 

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