“मैंने कुश्ती छोड़ दी…” : बृजभूषण के करीबी संजय सिंह के WFI चुनाव जीतने पर साक्षी मलिक का ऐलान

संजय सिंह के WFI अध्यक्ष चुने जाने से बृजभूषण के खिलाफ धरना देने वाले रेसलर नाखुश हैं.

खास बातें

  • पहलवानों ने बृजभूषण पर लगाए थे यौन शोषण के आरोप
  • संजय सिंह की जीत के बाद पहलवानों में मायूसी
  • साक्षी मलिक ने कुश्ती से लिया संन्यास

नई दिल्ली:

भारत को 2016 रियो ओलंपिक में पदक दिलाने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक अब मैट पर लड़ती हुई नजर नहीं आएंगी. साक्षी मलिक ने गुरुवार (21 दिसंबर) को कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया है. बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद ही उन्होंने यह फैसला लिया. साक्षी मलिक समेत तमाम महिला पहलवानों ने WFI के पूर्व चीफ और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. महिला पहलवानों के समर्थन में पुरुष पहलवानों ने भी प्रोटेस्ट किया था. संजय सिंह के फेडरेशन का चुनाव जीतने पर साक्षी मलिक के अलावा विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने भी निराशा जाहिर की है.

पिछले 11 महीनों से विवादित रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) को गुरुवार (21 दिसंबर) को नया अध्यक्ष मिल गया है. पिछली बॉडी में जॉइंट सेक्रेटरी रहे संजय सिंह नए अध्यक्ष बने हैं. संजय सिंह फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के करीबी और सहयोगी माने जाते हैं. इस बीच रेसलर साक्षी मलिक ने बड़ा ऐलान किया है. साक्षी मलिक ने कहा कि बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के फेडरेशन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कुश्ती छोड़ दी है. अब रिंग में नहीं लौटेंगी.

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साक्षी मलिक ने कहा, “पहलवानों ने WFI में महिला प्रेसिडेंट की मांग की थी, लेकिन सब जानते हैं कि बृजभूषण का तंत्र कितना मजबूत है. मैं और बजरंग पूनिया गृहमंत्री से मिले थे. हमने बाकायदा लड़कियों के नाम लेकर उन्हें बताया था कि रेसलिंग को बचा लें, लेकिन कुछ नहीं हुआ.”

शोषण के लिए तैयार रहे आने वाली पीढ़ियां- साक्षी मलिक

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, साक्षी मलिक ने रोते हुए कहा, “आज जो महासंघ का अध्यक्ष बना है…हमें पता था वही बनेगा… वह बृजभूषण के लिए बेटे से भी प्यारा है… जो अब तक परदे के पीछे से होता था अब खुले आम होगा. हम अपनी लड़ाई में कामयाब नहीं हो पाए. हमने हर किसी को अपनी बात बताई. पूरे देश को पता होते हुए भी सही इंसान नहीं WFI का चीफ नहीं बना. मैं अपने आने वाली पीढ़ियों को कहना चाहती हूं कि शोषण के लिए तैयार रहिए.”

खेल मंत्रालय ने वादा तोड़ा- बजरंग पूनिया

वहीं, बजरंग पूनिया ने कहा, “खेल मंत्रालय ने वादा किया था कि फेडरेशन में WFI से अलग का कोई आदमी आएगा. जिस तरह पूरे तंत्र ने काम किया उससे मुझे नहीं लगता कि बेटियों को न्याय मिलेगा. हमारे देश में कोई न्याय नहीं बचा है वह केवल कोर्ट में मिलेगा, हमने जो लड़ी लड़ी आने वाली पीढ़ी को और लड़नी पड़ेगी. सरकार ने जो वादा किया पूरा नहीं किया.”

बृजभूषण के घर के बाहर पोस्टर

WFI अध्यक्ष पद पर संजय सिंह की जीत के बाद ​​बृजभूषण शरण सिंह का खेमा ‘दबदबा है, दबदबा रहेगा’ के पोस्टर लहराता नजर आया. नई दिल्ली में बृजभूषण सिंह के आवास, 21 अशोका रोड के बाहर भी पोस्टर लगाए गए थे. इन पर लिखा- ‘दबदबा है, दबदबा रहेगा. यह तो भगवान ने दे रखा है.’

मेरा कोई लेना-देना नहीं- बृजभूषण शरण सिंह

वहीं, साक्षी मलिक के कुश्ती से संन्यास के ऐलान के बाद WFI के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, “इससे मेरा क्या लेना-देना. मैं इसपर कुछ नहीं कर सकता.”

जनवरी से शुरू हुआ था विवाद

इसी साल जनवरी में कुछ महिला पहलवानों ने WFI के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और संगीता फोगाट सहित देश के टॉप रेसलर अध्यक्ष को हटाने की मांग पर धरना करने लगे. इस विवाद के बाद इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) ने WFI को भंग करते हुए एडहॉक कमेटी बनाकर उसे WFI के नए पदाधिकारियों के चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंप दी. एडहॉक कमेटी ने 12 अगस्त को मतदान की तारीख तय कर दी थी.

हाईकोर्ट के स्टे के बाद प्रक्रिया रुकी, SC ने पलटा फैसला

रेसलिंग फेडरेशन के चुनाव 12 अगस्त को होने थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन (HWA) की याचिका पर चुनावी प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव पर लगी रोक हटाते हुए चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. 9 दिसंबर को निर्वाचन अधिकारी रिटायर्ड जस्टिस एमएम कुमार के कार्यालय ने चुनाव का शेड्यूल जारी किया और कहा, ‘मतदान, मतगणना और नतीजों की घोषणा एक ही दिन होगी.

कैसे होता है WFI के पदाधिकारियों का चुनाव?

WFI के पदाधिकारियों का चुनाव जनरल काउंसिल की बैठक में होता है. चुनाव में फेडरेशन से एफिलिएडेट एसोसिएशन के पदाधिकारी वोट डालते हैं. हर स्टेट फेडरेशन से प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी यानी दो वोट होते हैं. दिल्ली से दो और बाकी केंद्रशासित प्रदेश के एक-एक वोट होते हैं. एक पद के लिए एक ही दावेदार होने पर उसे निर्विरोध चुन लिया जाता है.