रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन अयोध्या में रहेंगे पीएम मोदी, लेकिन कहां होंगे विपक्ष के नेता?

वहीं कांग्रेस ने यह कहते हुए निमंत्रण अस्वीकार कर दिया कि “धर्म एक व्यक्तिगत मामला है”. वहीं सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को इसे ”नरेंद्र मोदी समारोह” करार दिया. वहीं ममता बनर्जी की राय भी अयोध्या कार्यक्रम पर अलग नहीं है. आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव और शिव सेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने भी निमंत्रण को ठुकरा दिया है. उन्होंने इस मामले पर बीजेपी की आलोचना की. इन नेताओं ने निर्माणाधीन राम मंदिर के सहारे बीजेपी पर उनके वोट बैंक मजबूत करने का आरोप लगाया.

22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे, करेंगे ये कार्यक्रम

हालांकि विपक्ष ये बात भी अच्छी तरह से जानता है कि वह ‘प्राण प्रतिष्ठा’ या राम मंदिर की पूरी तरह से उपेक्षा नहीं कर सकता. अगर वह ऐसा करता है तो बहुत सारे वोटर्स उनसे किनारा कर लेंगे और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की उनकी कोशिश को बड़ा झटका लग सकता है. इसलिए कांग्रेस, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे और अन्य लोग 22 जनवरी को अपने खुद के कार्यक्रम तय करेंगे.

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनको इस बारे में कुछ भी नहीं कहना. उन्होंने कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत मुद्दा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को वह कोलकाता के पास कालीघाट मंदिर जाएंगी और फिर “सांप्रदायिक सद्भाव रैली” आयोजित करेंगी. इस रैली में सभी समुदायों के लोग शामिल होंगे. 

राहुल गांधी का असम के मंदिर जाने का प्लान?

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं. ये यात्रा उसी भारत जोड़ो यात्रा की अगली कड़ी है, जिसने कांग्रेस को पिछले साल तेलंगाना और कर्नाटक चुनावों में जीत दिलाने में मदद की थी. बता दें कि 22 जनवरी को राहुल गांधी असम में रहेंगे और पहले से तय कार्यक्रम के तहत एक मंदिर भी जाएंगे.

अयोध्या में दर्शन के लिए 22 जनवरी के बाद जाएंगे शरद पवार और अखिलेश यादव

एनसीपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मिले न्योते पर बहुत संभलकर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने निमंत्रण के लिए आभार व्यक्त किया है और कहा है कि वह इसमें शामिल नहीं होंगे क्योंकि 22 जनवरी को ‘ऐतिहासिक घटना’ के बाद रामलला के दर्शन करना आसान होगा. हालांकि परोक्ष रूप में उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए एक टिप्पणी में कहा कि तब तक राम मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा.  वहीं अखिलेश यादव ने भी निमंत्रण स्वीकार करते हुए राममंदिर के महासचिव चंपत राय को मंदिर के लिए बधाइयां और धन्यवाद भेजा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद परिवार के साथ वह रामलला के दर्शन करने जाएंगे.

अरविंद केजरीवाल ने सुंदरकांड और हनुमान चालीसा के कार्यक्रमों की घोषणा की

वहीं आप प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को राममंदिर का न्योता नहीं मिला है, वैसे अब इसकी उम्मीद भी नहीं दिख रही, लेकिन उन्होंने दिल्ली में हर मंगलवार को सुंदरकांड और हनुमान चालीसा जैसे कार्यक्रमों की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि मैं भगवान राम और हनुमान से प्रार्थना करता हूं कि आपकी सभी इच्छाएं पूरी हों. 

उद्धव ठाकरे की “महा आरती”

पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विभाजन के बाद अपनी शिवसेना को फिर से एकजुट करने के लिए संघर्ष कर रहे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है. हालांकि ठाकरे ने कहा है कि वह और उनकी पार्टी के नेता 22 जनवरी को नासिक में कालाराम मंदिर जाएंगे और “महा आरती” करेंगे. भगवान राम को समर्पित इस मंदिर का नाम काले पत्थर से बनी मूर्ति के नाम पर रखा गया है. ऐसा माना जाता है कि राम अपने वनवास के दौरान सीता और लक्ष्मण के साथ पंचवटी में रुके थे, जो नासिक में है.

लालू यादव, डीएमके और लेफ्ट ने न्योता ठुकराया

बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल आरजेडी के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को कहा कि वह इसमें शामिल नहीं होंगे. वहीं तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने बीजेपी पर चुनाव से पहले लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आध्यात्मिक कार्यक्रम को ‘हाईजैक’ करने का आरोप लगाया है.

विपक्ष में लेफ्ट (CPIM) ने इस मामले में सबसे पहले अपनी स्थिति स्पष्ट की थी. पिछले महीने की शुरुआत में सीपीआईएम की बृंदा करात ने कहा था कि उनकी पार्टी इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेगी. उन्होंने कहा कि नहीं, हम नहीं जाएंगे. हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे (बीजेपी) धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं. 

नवीन पटनायक ने जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर पर लगाया दांव

राममंदिर समारोह की तैयारियों के बीच आज ओडिशा में जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया. जनता की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए इसे बीजद का बीजेपी को टक्कर देने के लिए रणनीतिक कदम माना जा रहा है. चार धाम यात्रा में ओडिशा का जगन्नाथ पुरी मंदिर भी शामिल है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है.