“विपक्ष की मानसिकता वैसी ही काली है, जैसी..”: निर्मला सीतारमण ने मणिपुर को लेकर साधा निशाना

  1. सीतारमण ने कहा कि विपक्ष की मानसिकता उनके पहने हुए कपड़ों की तरह ही काली है. यह विपक्ष के पाखंड का स्पष्ट प्रदर्शन है. ‘मणिपुर, मणिपुर’ कहकर उन्होंने संसद की कार्यवाही को पूरी तरह से बाधित कर दिया है.
  2. विपक्ष सोमवार को भी नियम 267 के तहत सदन में चर्चा के लिए दबाव डालता रहा, जो सदन में अन्य सभी कामों को रोक देने की अनुमति देता है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सरकार नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है.
  3. विपक्षी सांसद अपनी मांग से नहीं हटे और सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा. 20 जुलाई को मानसून सत्र के लिए सदन की बैठक शुरू होने के बाद से कई विपक्षी सांसद नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस जमा कर रहे हैं.
  4. विपक्ष ने पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की भी मांग की है. विपक्षी सांसदों ने आलोचना की है कि प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर मीडिया से बात की लेकिन संवेदनशील मामले पर संसद को संबोधित नहीं किया.
  5. केंद्र ने कहा है कि वह चर्चा के लिए तैयार है और विपक्ष पर बहस से भागने का आरोप लगाया है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सदन को संबोधित करने के लिए तैयार हैं.
  6. केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, “हम चाहते थे कि मणिपुर पर चर्चा दोपहर 2 बजे संसद में हो. वो विपक्षी सदस्यों को दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष पहले ही नौ महत्वपूर्ण दिन खराब कर चुका है.”
  7. इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को बोलने के लिए अड़े विपक्ष ने आखिरी कोशिश में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया है. इस सप्ताह संसद में और अधिक गतिरोध होने की उम्मीद है, क्योंकि सरकार दिल्ली के नौकरशाहों को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है.
  8. विधेयक, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों को नियंत्रित करने के लिए अध्यादेश को प्रतिस्थापित करना है. इधर ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत एकजुट हुए विपक्षी दल विधेयक के खिलाफ लड़ाई में अरविंद केजरीवाल सरकार का समर्थन कर रहे हैं.
  9. आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने इसे दिल्ली के दो करोड़ लोगों पर हमला बताते हुए कहा, “यह भारत के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में भाजपा द्वारा किया जा रहा सबसे अलोकतांत्रिक प्रयोग है.”
  10. विपक्ष के विरोध के बावजूद सरकार सत्र के लिए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने पर अड़ी हुई है. इसने लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए 13 मसौदा कानूनों को सूचीबद्ध किया है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लंबित है.