साल 2024 में भी शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी रहेगा जारी, सेंसेक्स-निफ्टी में 7% तक उछाल की उम्मीद

Stock Market Updates: 2023 में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 81.90 लाख करोड़ रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई.

नई दिल्ली:

भारतीय शेयर बाजार एक यादगार बीते साल और निवेशकों को मिले शानदार मुनाफे के बाद महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से भरे 2024 में प्रवेश कर गया है. नए साल 2024 में शेयर बाजार की निगाह ब्याज दरों के साथ लोकसभा चुनाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रहेगी.विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार में तेजी जारी रहेगी और अगले 3-6 माह में प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी सात प्रतिशत तक चढ़ सकते हैं.विश्लेषकों की राय है कि लोकसभा चुनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका और भारत में ब्याज दरों की चाल, मुद्रास्फीति के रुझान और भू-राजनीतिक हालात शेयर बाजार के लिए प्रमुख कारक होंगे.

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बीते साल कैसा रहा शेयर बाजार का हाल?

आपको बात दें कि बीते वर्ष 2023 में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 प्रतिशत बढ़ा, जबकि एनएसई निफ्टी में 3,626.1 अंक या 20 प्रतिशत की तेजी हुई. इस साल यानी 2023 में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 81.90 लाख करोड़ रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई.

अगले साल शेयर बाजार किन फैक्टर्स पर रहेगा निर्भर?

मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रिब्यूशन ने कहा कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद पहले आम बजट पर सभी की नजर रहेगी. ब्याज दर में किसी भी कटौती से बाजार को अतिरिक्त बढ़ावा मिलेगा.

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के चेयरमैन राकेश मेहता ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त ने निवेशकों के सेंटीमेंट को मजबूत करने का काम किया है.उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक कारकों के सकारात्मक होने के साथ ही अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के चलते एक बार फिर भारतीय बाजारों में विदेशी कोषों की लिवाली बढ़ी है.

मौजूदा तेजी अगले 3-6 महीनों में बनी रहेगी

राकेश मेहता ने उम्मीद जताई की मौजूदा तेजी अगले 3-6 महीनों में बनी रहेगी. इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है.

शेयर कारोबार मंच ट्रेडिंगो के फाउंडर न्यति ने कहा कि 2024 में उम्मीद है कि विदेशी निवेशक खरीदारी करेंगे. अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट और डॉलर इंडेक्स के कमजोर होने के कारण ऐसा होगा.