Analysis : बंगाल के मैच में किसका बिगड़ेगा खेला? ममता जीतेंगी या BJP बनाएगी बड़ा स्कोर, समझिए सियासी गणित

13 सीटों पर मुस्लिम वोटर बदल सकते हैं मैच का रुख
पश्चिम बंगाल की 13 लोकसभा सीटों बहरामपुर, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, रायगंज, मालदा (साउथ), मालदा (नॉर्थ), बशीरहाट, जादवपुर, बीरभूम, कृष्णनगर, डायमंड हार्बर, जयनगर और मथुरापुर में मुस्लिम वोटर असर रखते हैं. बहरामपुर में सबसे ज्यादा 64% मुस्लिम वोटर हैं. मुर्शिदाबाद में 66%, मालदा में 51%, नॉर्थ दिनाजपुर में 50% मुसलमान वोट हैं. ये वोट बैंक कभी भी किसी के भी पक्ष में मैच का रुख बदल सकते हैं.

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बंगाल में 2019 में कैसा रहा था स्कोर?     
पश्चिम बंगाल में पहले 5 राउंड की काउंटिंग में TMC 10 सीटों पर आगे थी. आखिरी 2 राउंट में 12 सीटों पर आगे हो गई. BJP पहले 5 राउंड में 13 सीटों पर लीड कर रही थी. आखिरी 2 राउंड में 5 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस 2 सीटों पर लीड कर रही थी. फाइनल रिजल्ट के मुताबिक, TMC का स्कोर 22 था. यानी ममता की पार्टी ने 42 में से 22 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि, BJP का स्कोर 18 था. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली. वोट शेयर की बात करें तो TMC को 43.7% वोट मिले. BJP का वोट शेयर 40.3% था. कांग्रेस का वोट शेयर महज 5.7% था. 

2019 का प्रदर्शन बरक़रार रखेगी BJP?
वरिष्ठ पत्रकार राम कृपाल सिंह ने NDTV से कहा, “इस चुनाव में BJP के लिए पिछली बार की तुलना में मौके ज्यादा हैं. अब पिछला प्रदर्शन कितना सुधर पाता है या नहीं, ये तो 4 जून को पता चलेगा. 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जिन जिन राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव हुए, उसमें BJP 3 से 73 पर पहुंची. वहीं, बंगाल में 60 साल तक राज करने वाली पार्टियां कांग्रेस और लेफ्ट जीरो हो गईं. विधानसभा चुनावों में बंगाल में BJP पहली बार विपक्षी पार्टी बनी. ऐसे में साफ है कि मुकाबला तो BJP-TMC के बीच है. जाहिर तौर पर BJP का प्रदर्शन पहले से अच्छा होने वाला है.”  

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क्या फिर से काम आएगा TMC का मां, माटी और मानुष मंत्र?
राम कृपाल सिंह बताते हैं, “बंगाल में भद्रलोग यानी पढ़ा-लिखा अपर कास्ट बंगाली ब्राह्मण करीब 3 से 4% हैं. बंगाली ब्राह्मण खुद को सेकुलर साबित करने के लिए TMC को वोट देते हैं. ये प्रोगेसिव सोच रखते हैं, लिहाजा जल्दी से BJP को एडॉप्ट नहीं करेंगे. दमदम सीट पर ऐसे ही भद्रलोक वोटर हैं. इस बार भी वो TMC के साथ जाएंगे. इसका फायदा TMC को मिल सकता है. दमदम में अपर कास्ट वोटरों का झुकाव सौगत रॉय की तरफ रह सकता है.”

राम कृपाल सिंह कहते हैं, “बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में काफी कुछ बदला है. BJP का कद बढ़ा है. उसकी पहुंच बड़ी है. लिहाजा ऐसी सीटों पर BJP का वोट शेयर भी बढ़ना चाहिए.”

क्या संदेशखाली मामले को भुना पाएगी BJP?
नॉर्थ 24 परगना जिले के छोटे से गांव संदेशखाली में 100 से ज्यादा महिलाओं ने स्थानीय TMC नेता शाहजहां शेख पर मारपीट और गैंगरेप का आरोप लगाया था. इस घटना ने बशीरहाट सीट की कहानी ही बदल दी. BJP संदेशखाली के जरिए पूरे बंगाल में अपने पक्ष में माहौल बना रही है. लेकिन शायद बशीरहाट में इसका फायदा नहीं मिलता दिख रहा. BJP ने बशीरहाट में संदेशखाली की एक पीड़िता रेखा पात्रा को टिकट दिया है. पात्रा का राजनीति का बिल्कुल अनुभव नहीं है. उनका मुकाबला TMC के हाजी नुरुल इस्लाम से होगा. इस्लाम 2009 से 2014 तक बशीरहाट से सांसद रहे हैं. बशीरहाट में इस्लाम बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं. 2019 के इलेक्शन में TMC ने इस सीट से बंगाली फिल्मों की एक्ट्रेस नुसरत जहां को मौका दिया था. नुसरत बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. हालांकि, इस बार ममता ने उन्हें रिपीट नहीं किया.

महिला वोटर्स किसके साथ?    
राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणवीस कहती हैं, “ममता के पास मुसलमानों के अलावा दो और वोट बैंक हैं. पहला महिला वोटर हैं और दूसरा अपर कास्ट बंगाली ब्राह्मण. महिलाएं ममता बनर्जी की लक्ष्मी भंडार और कन्याश्री योजनाओं से खुश हैं. उन्होंने लड़कियों को मुफ्त साइकिल दी. महिलाओं को लगता है कि अगर उन्होंने BJP को वोट दिया, तो ममता सरकार से उन्हें मिलने वाला पैसा भी रुक जाएगा. ऐसे में महिला वोटर्स का साथ ममता की पार्टी को मिलता दिख रहा है.” 

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क्या कांथी में बना रहेगा शुभेंदु अधिकारी परिवार का दबदबा?
कांथी सीट पर तीन बार से BJP नेता शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी जीत रहे हैं. तीनों बार TMC के टिकट पर चुनाव लड़े. इस बार शुभेंदु के भाई सौमेंदु अधिकारी BJP के उम्मीदवार हैं. ऐसा पहली बार है, जब अधिकारी परिवार का कोई सदस्य BJP की तरफ से लोकसभा चुनाव में उतरा है. क्या कांथी में शुभेंदु अधिकारी परिवार का दबदबा बना रहेगा?

इस सवाल के जवाब में राम कृपाल सिंह बताते हैं, “शुभेंदु अधिकारी परिवार का रुतबा कांथी में बरकरार रहता दिख रहा है. हालांकि, उनके TMC छोड़कर BJP में जाने से TMC को मेदिनीपुर डिवीजन में नुकसान होता दिख रहा है. जंगलमहल, पूर्वी मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया में अधिकारी की मजबूत पकड़ है.साथ ही TMC की अंदरूनी कलह से भी पार्टी को नुकसान हो सकता है. जाहिर तौर पर इसका फायदा BJP कैंडिडेट को मिलेगा.”

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